10 जुलाई की सुबह सभी न्यूज चैनलों पर कानपुर शूटआउट का आरोपी विकास दुबे के एनकाउंटर होने की खबर सुर्खियां बनी हुई थीं। विकास दुबे 60 से भी अधिक मुकदमों में नामजद था, वो कई बार जेल भी गया लेकिन राजनेताओं व पुलिसकर्मियों के साथ अपने गठजोड़ के चलते वो अधिक दिनों तक जेल में नही रहता था। अपने जीवन की पूरी क्राइम हिस्ट्री में उसपर कई लोगों को जान से मारने का आरोप था। फिलहाल अपने डेथ वारंट पर साइन उसने 2 जुलाई की रात उस वक्त कर दिया था जब यूपी के कानपुर में पुलिस और उसकी गैंग के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में सीओ देवेंद्र मिश्रा समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
एक साथ 8 पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद से यूपी पुलिस ने विकास दुबे की धरपकड़ तेज कर दी। घटना के 8 दिन होने तक पुलिस ने विकास को मार गिराया। हालांकि इस एनकाउंटर को लेकर अब सवाल भी खड़े किए जा रहे हैं।
अगर विकास ने सुनियोजित सरेंडर किया तो भागा क्यों?
इस बात को लेकर तमाम लोग सवाल कर रहे हैं कि, जैसा कि पुलिस कह रही है कि वो भागने की कोशिश कर रहा था, इसलिए वो एनकाउंटर में मारा गया। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर 9 जुलाई को मध्य प्रदेश में उज्जैन के महाकाल मंदिर के पास उसने जब खुद अपने आप को सरेंडर किया तो फिर यूपी लाए जाते समय वो भागने की कोशिश क्यों करता? कहीं पुलिस ने ये सब प्लान तो नहीं किया था?
यूपी लाते वक्त मीडिया की गाड़ी को बीच में ही क्यों रोका गया?
विकास दुबे के मारे जाने के बाद पुलिस पर सवाल ये भी उठता है कि आखिर STF जब विकास को उज्जैन से कानपुर ला रही थी तो एनकाउंटर की जगह से थोड़ी दूर पहले ही पुलिसवालों की गाड़ियों का पीछा कर रही आजतक चैनल की गाड़ी को रोक क्यों दिया गया? बता दें कि मीडिया की गाड़ी रोकने के कुछ दूर पर ही विकास का एनकाउंटर किया गया। जिस जगह पुलिस ने मीडिया की गाड़ियों को रोका उससे थोड़ी दूर आगे ही गाड़ी पलटने की बात कही जा रही है।
बता दें कि सुबह मीडिया की गाड़ियों को एनकाउंटर वाली जगह से पहले रोक दिया गया था। मीडिया की गाड़ियों को रोकने के बाद पुलिस का काफिला आगे बढ़ा और थोड़ी ही दूरी पर एक्सीडेंट हुआ और फिर एनकाउंटर हो गया। आजतक की गाड़ी विकास दुबे को लेकर उत्तर प्रदेश आ रही गाड़ियों के काफिले के ठीक पीछे चल रही थी।
सफारी से ले जाया जा रहा था विकास, लेकिन पलटी TUV
यहां एक बात और गौर करने वाली है कि, आजतक अपने चैनल पर बार-बार दिखा रहा था कि, एक टाटा सफारी से विकास को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था, लेकिन पुलिस जिस गाड़ी के पलटने की बात कर रही है वो महिंद्रा की TUV है। हालांकि कानपुर के आईजी मोहित अग्रवाल ने गाड़ी बदलने की बात से इनकार किया है।
मुठभेड़ में सीने लगी तीन गोली?
बताया जा रहा है कि विकास दुबे के शव से चार गोली मिली है। उसके सीने में तीन गोली लगी है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर विकास दुबे भाग रहा था तो पुलिस की कार्रवाई के अनुसार गोली विकास के पीठ, पैर या शरीर के पिछले हिस्से में लगनी चाहिए थी, सीने में तीन गोलियां लगने से यूपी पुलिस संदेह के घेरे में हैं।
कैसे हुआ एनकाउंटर
बता दें कि कानपुर के भौंती में जब गाड़ी पलटी तो मौके का फायदा उठाकर विकास ने भागने की कोशिश की। उसने पुलिसवालों के हथियार छीनकर भागने की कोशिश की। पीछा कर पुलिसवालों ने उसे घेर लिया और सरेंडर करने को कहा, लेकिन विकास दुबे पुलिस पर फायरिंग करने लगा।
कानपुर पुलिस और एसटीएफ की जवाबी फायरिंग में विकास दुबे बुरी तरह जख्मी हुआ। उसे कानपुर के हैलट अस्पताल लाया गया। अस्पताल में पहुंचते ही उसे मृत घोषित कर दिया गया। उसे ब्राउट डेड बताया गया यानी जब उसे अस्पताल लाया गया तो वो जिंदा नहीं था।
पूरा मामला
कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत बिकरू गांव में 2 जुलाई की रात पुलिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे को पकड़ने गयी थी। टीम की कमान बिठूर के सीओ देवेंद्र मिश्रा के हाथ में थी और उनके साथ तीन थानों की फोर्स मौजूद थी। इससे पहले कि पुलिस विकास को दबोचती, उसके गैंग ने पुलिस पर धावा बोल दिया। काफी देर तक चली मुठभेड़ में डीएसपी देवेंद्र मिश्रा, एसओ शिवराजपुर महेंद्र सिंह यादव, चौकी प्रभारी मंधना अनूप कुमार सिंह समेत 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। सभी की गोलियों से छलनी कर और निर्ममता से पीट-पीटकर तथा धारदार हथियारों से हमला कर हत्या की गई थी।