संयुक्त राष्ट्र संघ ने दुनिया के देशों को बड़ी चेतावनी जारी की है. यूएन ने कहा है कि अगर मानव ऐसे ही जंगली और पालतू जानवरों को मारना जारी रखेगा तो कोरोना जैसे वायरस का संक्रमण और तेजी से फैलेगा. संयुक्त राष्ट्र संघ से जुड़ी संस्था इन्वायरमेंट प्रोग्राम एंड इंटरनेशनल लाइवस्टॉक रिसर्च इंस्टीट्यूट के रिपोर्ट की मानें तो कोरोना जैसी बीमारी के फैलने का कारण जंगली जीवों का उत्पीड़न, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन और जलवायु परिवर्तन जैसी वजहें जिम्मेदार हैं. बता दें कि इससे पहले कई रिसर्च में यह सामने आया था कि कोरोना वायरस चमगादड़ या फिर पैंगोलिन से मानव मे आया. इसको ध्यान में रखते हुए इस रिपोर्ट को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. विशेषज्ञों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में जानवर और पक्षियों से मानव में फैलने वाली बीमारियों की संख्या काफी तेजी से बढ़ी है. संयुक्त राष्ट्र संघ की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इंसानों ने जंगली जानवरों और पर्यावरण को नही बचाया तो इस तरह की बीमारियां और बढ़ेगीं.
संयुक्त राष्ट्र संघ ने कोरोना वायरस के बीच बड़ी चेतावनी जारी की है
कोरोना वायरस के कारण इस समय पूरी दुनिया हाल-बेहाल है. इस बीच संयुक्त राष्ट्र संघ ने इसे लेकर बड़ी चेतावनी जारी की है. उसने कहा है कि अगर इंसान ऐसे ही जंगली जानवरों को मारता रहा तो कोरोना जैसे वायरस औऱ फैलने से कोई नही रोक सकता. यहां पर सबसे बड़ी बात यह है ऐसा तथ्य पहले ही रिसर्च में सामने आ चुका है. जिसमें कहा गया है कि कोरोना चमगादड़ो या फिर पैंगोलिन से मानवों में आया. चीन में चमगादड़ों को बड़ी मात्रा में पकड़ा जाता है जिन पर रिसर्च करने का भी दावा किया गया है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था इन्वायरमेंट प्रोग्राम एंड इंटरनेशनल लाइवस्टॉक रिसर्च इंन्स्टीट्यूट ने कहा है कि अगर इंसानों ने पर्यावरण और जंगली जीवों को नही बचाया तो कोरोना जैसी और घातक बीमारियों का सामना कर पड़ा सकता है.
संयुक्त राष्ट्र् की रिपोर्ट के अनुसार प्रोटीन की जरुरतो को पूरा करने के लिए बेतहाशा जानवरों को मारा जा रहा है और इसका खामियाजा इंसानों को भुगतना पड़ रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ की इस रिपोर्ट के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं- पहला तो यह की चीन का हुबेई प्रांत जहां से कोरोना फैला वहां मांस का बड़े पैमाने पर उत्पादन औऱ व्यापार होता है. चीन के इस प्रांत में केवल मुर्गा, मछली या बकरा ही नही मिलता बल्कि यहां पर लोमड़ी, कुत्ता, मोर, सांप, कंगारु और ऊंट घड़ियाल जैसे जानवरों के मांस भी मिलते हैं. दूसरा यह है कि यह सभी जानवर पर्यावरणीय दृष्टिकोण से इतने फायदेमंद हैं लेकिन चीन में इस कदर इन जंगली औऱ पालतू जानवरों को मारकर खाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र संघ की रिपोर्ट इस बात को ध्यान में रखते हुए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है और चीन को इस बात से सबक लेने की जरुरत है.
हर साल लाखों लोगों की मौत होती है
विशेषज्ञों की माने तो जानवरों द्वारा फैलने वाले अलग-अलग रोगों से हर साल दुनिया भर में करीब 20 लाख लोगों की मौत होती है. जानवरों से मानवों में होने वाली इन बीमारियों में इबोला, बर्ड फ्लू और सार्स जैसे रोग शामिल हैं इन्हें ‘जूनोटिक डिजीज’ भी कहा जाता है. ऐसी बीमारियां पहले जानवरों में फैलती हैं उसके बाद उन्हें खाने या संपर्क में आने से इंसानों में फैल जाती है.
पिछले कुछ वर्षों में मांस का उत्पादन तेजी से बढ़ा है
संयुक्त राष्ट्र इंन्वायरमेंट प्रोग्राम की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इंगर एंडर्सन का कहना है कि पिछले 50 वर्षों मे मांस का उत्पादन 260 प्रतिशत बढ़ गया है. कई समुदाय है जो केवल मांस पर निर्भर करते हैं इसके अलावा अनाज की जरुरतों को पूरा करने के लिए जंगलों की बेतहाशा कटाई की गई जिससे जंगली जानवरों का न केवल रहन-सहन प्रभावित हुआ बल्कि पर्यावरण को भी भारी छति हुई है.
उन्होंने कहा कि मध्यम और निम्न आय वर्ग आय वाले देशों में हर साल करीब 20 लाख लोगो की मौत गिल्टी रोग. चौपायों से होने वाले टीबी और रेबीज जैसी खतरनाक जूनोटिक बीमारियों से हो जाती है. पिछले 100 सालों में इंसान कम से कम 6 तरह के नए वायरस से संक्रमित हो चुका है. इन सब असाध्य रोगों का एक ही कारण है पर्यावरणीय अंसतुल, जिसका जिम्मेदार खुद इंसान है.
क्या है इस समस्या का हल
रिपोर्ट में न केवल जानवरों से फैलने वाले रोगों का कारण बताया गया है बल्कि दुनिया भर के शासनाध्यक्षों को यह भी बताया गया है कि इससे कैसे बचा जा सकता है. इसमें कहा गया है कि कैसे कम नुकसान देने वाली खेती को बढ़ावा देने और जैव विविधता को बरकरार रख कर इस समस्या का निराकरण किया जा सकता है. इसके अलावा पालतू और जंगली जानवरों के साथ संजीदा व्यवहार हमें इस कोरोना जैसी बीमारी से बचा सकता है.