गांव जो हरियाली के सबसे करीबी माने जाते है । जिसका नाम सुनते ही खेत – खलियान जंगल याद आने लगते है । नदिया याद आने लगती है , साफ – सुथरी हवा – पानी याद आने लगता है । जो वातावरण की सौदर्यता और शुद्धता का धरोहर माना जाता है । लेकिन अब वो गांव पहले की तरह नही रहे जहरीली हवा ने वहा भी अपना डेरा डालना शुरु कर दिया है । कोलरेडो यूनिवर्सिटी और बॉम्बे यूनिवर्सिटी के संयुक्त रिसर्च मे ये बात सामने आई है ।

गांव भी प्रदूषण से अछूते नही
बॉम्बे यूनिवर्सिटी और कोलरेडो यूनिवर्सिटी के संयुक्त अध्ययन मे ये बात सामने आई है कि गांवो मे भी शहरो की तरह ही बराबर मात्रा मे वायु प्रदूषण होता है । इस रिसर्च मे पाया गया 10.5 लाख लोग समय से पहले ही मर जाते हैं । जिसका कारण देश मे पीएम लेवल (2.5 ) का इतना बढ़ा हुआ होना है । रिसर्च मे पाया गया कि लोग हार्ट अटैक, स्ट्रोक, स्वास संबंधी बीमारी , फेफड़ो की बीमारी (Chronic obstructive pulmonary disease), लंग कैंसर और टाइप 2 डायबिटिज के कारण समय से पहले ही मौत के हत्थे चढ़ जाते है । रिसर्च मे ये भी पाया गया कि इसमें से 69% मौतें ग्रामीण इलाकों में होती हैं और बाकी शहरी इलाकों में होती हैं। इससे ये साफ हो जाता है कि गांवो की हवा भी उतनी ही जहरीली है जितने की शहरो की ।

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संयुक्त रिसर्च से बात आई सामने
बॉम्बे यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रविशंकर की अध्यक्षता मे चार महीने चले इस रिसर्च मे भारत के कई हिस्सो पर पीएम लेवल का अध्ययन किया गया जिसमे उत्तर भारत, पूर्वी भारत, पश्चिमी भारत, मध्य भारत और दक्षिणी भारत शामिल है । इसके लिए एरेसोक नामक सैटेलाइट की मदद ली गई जो कि नासा द्वारा संचालित की जाती है । अध्ययन मे पाया गया कि पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक वायु पीएम (2.5) का स्तर बहुत अधिक है । मतलब हवा मे प्रदूषण की मात्रा अत्यधिक है । यह अध्ययन 2 नवंबर को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नामक मैग्जिन मे प्रकाशित हुआ था।