भारत को रास्ते दिखाने वाला इंटरेक्टिव डिजिटल मैप गूगल की नहीं बल्कि भारत की एक बेटी की देन है। देश का पहला डिजिटल मैप भारतीय महिला टेक्नोक्रेट रश्मि वर्मा ने गूगल से बहुत पहले बना दिया था। रश्मि वर्मा ने डिजिटल मैप डेटाबेस बिजनेस सीई इन्फोसिस्टम्स की स्थापना की जिसे बाद में मैपमाईइंडिया के नाम से जाना गया।

अमेरिका छोड़ कर बसीं भारत में!
रश्मि उत्तर प्रदेश के छोटे से शहर से बरेली हैं। मैपमाईइंडिया के लिए उन्होंने अमेरिका की बड़ी कंपनियों की नौकरी छोड़ दी और दिल्ली में आकर बस गईं। 90 के दशक में उन्होंने बाजार में स्मार्ट फोन आने से काफी पहले ही नक्शे बना दिए थे। रश्मि के इस काम में साथ दिया उनके पति राकेश वर्मा ने। राकेश और रश्मि ने डिजिटल मैप पर काम करना शुरू किया और 1992 में मैपमाईइंडिया को स्थापित कर दिया।

2005 से उनके बनाए डिजिटल मैप टेलीकॉम नेटवर्क पर उपलब्ध हो गए थे। तब तक भी गूगल मैप बाज़ार में नहीं था। रश्मि ने बताया है कि उस समय नेविगेशन के लिए कोई उपकरण नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपने पोर्टेबल डिवाइस उपलब्ध कराए जो जीपीएस पर काम करते थे। खास बात यह थी कि इसके उपयोग के लिए डेटा कनेक्शन की आवश्यकता नहीं पड़ती थी।
आख़िर कौन हैं रश्मि?
रश्मि शुरुआत से ही पढ़ाई में बेहद तेज थीं। वे 1973 में तब के रुड़की विश्वविद्यालय (अब आईआईटी) में कैमिस्ट्री इंजीनियरिंग की नौ छात्राओं में से एक थीं। उनके पति राकेश केवल जीवन में नहीं बल्कि व्यवसाय में भी उनके साथी बन गए। 1984 में आईबीएम जॉइन करने के बाद रश्मि ने महसूस किया कि दुनिया डिजिटल प्रौद्योगिकी और इसके सॉल्यूशन की तरफ आगे बढ़ रही है। छह साल बाद उन्होंने तय किया की वे कुछ ऐसा करेंगी जो भारतीयों के जीवन को बदल दे। उन्होंने कई दिग्गज सॉफ्टवेयर कम्पनियों में भी सेवा दी।
बड़ी कंपनियां हैं निर्भर!
आज मैपमाईइंडिया द्वारा बनाए गए इन-बिल्ट डिजिटल मैप सॉल्यूशंस का उपयोग कई प्रमुख कंपनियाँ जैसे टाटा मोटर्स, हुंडई, बीएमडब्ल्यू, फोर्ड, जगुआर, टीवीएस मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा द्वारा किया जा रहा है। इसके मैप्स में फ्लिपकार्ट, अमेजॉन और ओला कैब्स की भी शामिल हैं।
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