आज भारतीय वायुसेना दिवस है. इस अवसर पर गाजियाबाद के पास स्थित हिंडन एयरफोर्स स्टेशन में गुरुवार को भव्य आयोजन किया गया है. यहां चल रहे वायुसेना दिवस के समारोह में ट्राई कलर से सुसज्जित आकाश गंगा टीम के जांबाजों ने पैराजंपिंग की. इसके अलावा भारतीय वायुसेना के विमान भी आकाश में अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हुए देखे जा रहे हैं. समारोह में वायुसेना की ताकत के रुप में विश्व के सबसे उन्नत लड़ाकू विमानों में से एक राफेल सहित एयरबोर्न अर्ली वार्निंग सिस्टम, चिनूक हेलीकाप्टर, मिग-29, आकाश मिसाइल, ध्रुव हेलीकाप्टर, मिराज-2000, जगुआर, तेजस, सुखोई-30 जैसे लड़ाकू विमानों के करतब दिखाए जाएंगे.

वायुसेना की स्थापना
भारत में 8 अक्टूबर 1932 को वायुसेना की स्थापना की गई थी. देश के स्वतंत्र होने से पहले वायुसेना को रॉयल इंडियन एयर फोर्स कहा जाता था. इस तरह से 1 अप्रैल 1933 को वायुसेना का पहला दस्ता बना जिसमें 6 आईएएफ-ट्रेंड ऑफिसर और 19 हवाई गार्ड को शामिल किया गया था. 1947 में भारत के आजाद होने के बाद वायुसेना के नाम में से रॉयल शब्द को हटाकर सिर्फ इंडियन एयरफोर्स कर दिया गया. शुरु में वायुसेना आर्मी के तहत ही काम करती रही लेकिन बाद में इसे आर्मी से अलग कर दिया गया. आजादी के बाद सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को भारतीय वायु सेना का पहला चीफ एयर मार्शल बनाया गया था.
#WATCH: Nishan Toli being led by Squadron Leader Shivangi Rajawat marches at Hindon Air Force Station in Ghaziabad. #AirForceDay pic.twitter.com/UrrOGluvaE
— ANI UP (@ANINewsUP) October 8, 2020
वायुसेना का आदर्श वाक्य
भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है ‘नभ: स्पृशं दीप्तम’. दरअसल यह महाभारत के युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का एक अंश है. इसके अलावा वायुसेना ध्वज 1951 में भारतीय वायु सेना द्वारा अपनाया गया था. इसका ध्वज नीले रंग का है जिसके एक चौथाई भाग मे राष्ट्रीय ध्वज बना हुआ है.