कोरोना महामारी के मद्देनजर केन्द्र सरकार ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा था कि वॉल्व लगे N-95 मास्क सुरक्षित नही हैं. यह वायरस को रोकने में असमर्थ है. अब इस मामले पर इसरो के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना को रोकने में N-95 मास्क सबसे ज्यादा असरदार है. रिसर्च में कहा गया है कि यह खांसी की शुरुआती रफ्तार को 10 गुना तक कम कर सकता है.

इसरो ने N-95 को बताया सुरक्षित
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने दावा किया है कि वॉल्व लगा N-95 मास्क कोरोना वायरस को रोकने में काफी कारगार है. रिसर्च में कहा गया है कि यह वायरस के फैलाव को 0.1 से 0.5 मीटर तक सीमित करता है. शोधकर्ताओं ने कहा है कि जब आपके पास एक अच्छे मास्क की उपलब्धता न हो तो N-95 मास्क को पहनना बेहतर होगा.
केन्द्र सरकार की एडवाइजरी नो चौंका दिया था
इसके पहले केन्द्र सरकार ने एडवाइजरी जारी की थी कि एन-95 मास्क सुरक्षित नही है. यह वायरस को रोक पाने में असफल है और इसकी वजह इसमें लगे फिल्टर को बताया गया था. इसरो का यह रिसर्च केन्द्र सरकार की इसी एडवाइजरी के बाद आया है. शोधकर्ताओं के अनुसार आम डिस्पोजेबल मास्क भी खांसी के दायरे को 0.5 मीटर तक सीमित रख सकता है जबकि बिना मास्क के खांसी 3 मीटर तक फैल सकती है इसलिए मास्क पहनना बेहद जरुरी है.
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बता दें कि N-95 मास्क दो तरह के होते हैं एक वॉल्व लगा हुआ और दूसरा बिना वॉल्व वाला. केन्द्र सरकार ने वॉल्व लगे N-95 मास्क को पहनने से रोका है. सभी N-95 मास्क को नही.
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