आने वाला समय चीन के लिए ‘खतरे की घंटी’, जानिए कैसे लद्दाख की घटना के बाद अपनों से ही घिर गया चीन !

लद्दाख के गलवान घाटी में चीन और भारत के बीच जो भी हुआ वह सही नही था, यह अतंर्राष्ट्रीय समुदाय ने बड़े ही बेबाकी से माना है. चीन की गुस्ताखी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह इस घटना की बाद से ही यह सही साबित करने में लगा है कि चीन ही सही है. जबकि वहां की सरकार यह बताने से डर रही है कि उसके कितने सैनिक मारे गए. मारे गए सैनिकों की संख्या छुपा कर चीन या तो यह साबित कर रहा है कि उसको कुछ नही हुआ औऱ वह बड़ा शूरवीर है. या फिर चीनी पक्ष को कुछ ज्यादा ही नुकसान हुआ है जिसको वह अपनी तौहीनी मान रहा है. हालांकि चीन अब इस मामले में अपने घर में ही घिरता नजर आ रहा है और यह उसके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नही है.

चीन अपने ही लोगों से छुपा रहा मारे गए सैनिकों की संख्या

15 और 16 जून को गलवान घाटी में जो कुछ हुआ वह पहले कभी नही हुआ था यह ऐसी घटना थी जिसको सुन कर लोगों के रोंगटे खड़े हो गए. निहत्थे भारतीय सैनिकों को कांटे लगे लोहे की राड, लाठी और डंडे से पीटा गया जिसमें 20 जवान शहीद हो गए. इस आपसी झ़ड़प में चीन के सैनिकों को भी काफी नुकसान हुआ लेकिन अभी तक चीन ने यह नही बताया है कि उसके कितने सैनिक हताहत हुए. यह मामला अब चीन में ही तूल पकड़ता जा रहा है मारे गए चीनी सैनिकों के परिजन अब इस मुद्दे को सोशल मीडिया के जरिए उठा रहे हैं. वह सरकार से मांग कर रहे हैं की मारे गए चीनी सैनिकों की असली संख्या बताई जाय.

दरअसल चीन का इस मामले में मौन होना कई सवालों को जन्म दे रहा है. भारतीय सेना के अनुसार चीन ने घटना वाले दिन गलवान घाटी पोस्ट पर सैनिकों को बदल दिया था. 15 जून की घटना के बाद सेना ने यह माना है कि रोज जो सैनिक वहां पर रहते थे वह घटना वाले दिन नही थे. उस दिन वहां पर नए सैनिक तैनात किए गए थे इससे साफ जाहिर होता है कि चीन के मकसद पहले से ही नेक नही थे. वह पहले से ही ऐसी घटना को अंजाम देने वाला था. चीन को अब उसकी इसी चालबाजी और दोगलेपन का बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग

सोशल मीडिया पर फूट रहा है लोगों का गुस्सा

चीन द्वारा गलवान घाटी में मारे गए सैनिकों की संख्या उजागर न करने पर सैनिकों के परिजन अब सरकार पर निशाना साधने में उतारु हो गए हैं. सोशल मीडिया साइट वीबो के माध्यम से सरकार पर लोगों का गुस्सा फूट रहा है. लोग मांग कर रहें हैं कि सरकार को जल्द से जल्द से सीमा पर मारे गए सैनिकों की संख्या बतानी चाहिए.

बता दें कि गलवान घाटी मे हुए झड़प में चीन के भी कम से कम 40 सैनिक मारे गए थे. लेकिन चीन ने इसे अब तक स्वीकार नही किया है. हालांकि चीनी सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने यह माना था कि चीन के कई सैनिक इस घटना में हताहत हुए हैं. यही नही राज्य संचालित मीडिया के प्रधान संपादक हू जिजिन ने भी यह माना था 15 जून को गलवान घाटी में हुए झड़प में दोनो तरफ के सैनिकों को भारी क्षति हुई थी और काफी संख्या में चीनी सैनिक हताहत हुए थे.

चीन के खिलाफ एकजुट हुआ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन

चीन एक ओर जहां अपने ही देश में लोगों के गुस्से का शिकार हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी मुंह की खानी पड़ रही है. चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी से निपटने के लिए अमेरिका और यूरोपियन यूनियन अब एक मंच साझा करेंगे. ब्रसेल्स फोरम की मीटिंग के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पंपियो ने भारतीय पक्ष को मजबूत करते हुए कहा कि चीनी तानाशाही की आक्रामकता से लोगों में भय व्याप्त हो गया है. फोरम की मीटिंग के दौरान विदेश मंत्री माइक पंपियो ने कई बार चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के खतरे और पीएलए के उत्तेजक कार्रवाई का जिक्र किया.

बताते चले कि कुछ समय पहले ही यूरोपिय संघ के मुख्य राजनायिक जोसेफ बॉरेल ने चीन के खिलाफ एक ट्रांसअटलांटिक मोर्चा बनाने के उद्देश्य से मीटिंग का आह्वान किया था. जिसके बाद ब्रसेल्स बैठक में यह बात निकल कर सामने आई.

हांगकांग को लेकर भी चीन की होने वाली है फजीहत

चीन की कूटनीति हर तरफ फेल होती नजर आ रही है. एक ओर जहां वह गलवान घाटी को लेकर चारों तरफ से घिरता नजर आ रहा है तो वहीं अब हांगकांग को लेकर उसे बड़ा झटका मिलने वाला है. चीन की चालबाजी को देखते हुए अमेरिका ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है. वहां की सीनेट ने हांगकांग स्वायत्तता अधिनियम को मंजूरी दे दी है. अमेरिका ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब खुद उसके और तमाम यूरोपीय देशों के विरोध के बावजूद चीन की शीर्ष विधायी निकाय हांगकांग में चीनी नियंत्रण वाले एक कानून को मंजूरी देने वाली है. ऐसे में एक बार फिर हांगकांग में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर विवाद बढ़ गया है.