बिहार विधानसभा चुनाव से पहले राजधानी दिल्ली से चौकानें वाली खबर आई है. केन्द्रीय मंत्री और लोकजन शक्ति पार्टी के कद्दावर नेता रामविलास पासवान का गुरुवार को निधन हो गया. उनके निधन से पूरे देश मे शोक की लहर दौड़ गई है. रामविलास पासवान 9 बार सांसद रहे. अपने 50 साल के राजनीतिक जीवन में उन्हें केवल 1984 और 2009 में हार का मुंह देखना पड़ा. 1977 के लोकसभा चुनाव ने उन्हें राष्ट्रीय नेता बना दिया था. उन्होंने बिहार के हाजीपुर सीट से कांग्रेस उम्मीदवार को सवा 4 लाख से ज्यादा मतों से हराकर नया कीर्तिमान स्थापित किया था. उनके निधन के बाद देश भर के नेताओं और बुद्धजीवियों ने शोक व्यक्त किया है.

केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का निधन
राजनीति के मौसम वैज्ञानिक कहे जाने वाले केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान का गुरुवार को दिल्ली में निधन हो गया. उनके बारे में कहा जाता है कि राजनीतिक जीवन में केवल एक बाऱ ही वह हवा का रुख भांपने में चूक गए थे. जब 2009 में उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़ कर लालू यादव का हाथ थामा था औऱ उसके बाद वह अपनी चिरप्रतिष्ठित हाजीपुर सीट से ही चुनाव हार गए थे. हालांकि जल्द ही वह इस सीट पर अपना दबदबा कायम रखने में कामयाब हो गए थे.

रामविलास पासवान 1989 के बाद से नरसिम्हा राव औऱ मनमोहन सिंह के दूसरे कार्यकाल को छोड़ कर हर प्रधानमंत्री के सरकार में मंत्री रहे. वह देश के इकलौते ऐसे राजनेता रहे जिन्होंने 6 प्रधानमंत्रियों के कार्यकाल में मंत्रिपद को धारण किया. रामविलास पासवान पहली बार 1969 में विधायक बने थे. तब उन्होंने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी से महज 906 वोटों से ही जीत दर्ज कर पाए थे. बिहार राजनीति के एक और खिलाड़ी लालू यादव और नीतीश कुमार भी उनके बाद बिहार विधानसभा में पहुंचे थे.
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पुलिस सेवा में हुआ था चयन
बिहार के खगड़िया जिले में 1946 जन्में रामविलास पासवान दलित परिवार से आते हैं और पढ़ाई में अच्छे होने के कारण वह बिहार प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास कर पुलिस उपाधीक्षक यानि की डीएसपी के पद पर चुने गए. हालांकि उस दौर में बिहार में काफी राजनीतिक हलचल थी जिसके कारण उनकी मुलाकात बेगूसराय जिले के एक समाजवादी नेता से हुई. उन्होंने उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्हें राजनीति में आने के लिए प्रेरित किया
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