राजस्थान में सियासी ड्रामा चल रहा है. कांग्रेस बीजेपी पर आरोप लगा रही है और बीजेपी कांग्रेस पर. इन सबके बीच जमकर बयानबाजी भी हो रही है. आरोप प्रत्यारोप का खेल चल रहा है. अशोक गहलोत राज्यपाल से लकर प्रधानमंत्री तक से मदद की अपील कर रहे हैं, स्थिति की जानकारी दे रहे हैं लेकिन राजस्थान का सियासी संकट रुकने का नाम नही ले रहा है. वहीँ सियासी संकट के बीच राजस्थान में कुछ ऐसा भी हो रहा है जिससे ये सोचने पर मजबूर होना पड़ा कि क्या वसुंधरा राजे सिंधिया बीजेपी की सचिन पायलट हो गयी है?
दरअसल ये सवाल इसलिए खड़ा हो रहा है क्योंकि राजस्थान में सियासी ड्रामा इतने अधिक दिनों से चल रहा है और बीजेपी-कांग्रेस के बीच चल रहा है लेकिन बीजेपी का एक प्रमुख नेत्री एक दम चूप्पी साधकर बैठी है और वो है वसुंधरा राजे सिंधिया. वसुधंरा राजे सिंधिया की चुप्पी पर सवाल इसलिए भी खड़ा हो रहा है क्योंकि वो राजस्थान बीजेपी की बड़ी नेता है और पूर्व मुख्यमंत्री भी. इसके बावजूद राजस्थान में चल रहे सियासी उठापठ पर उनकी चुप्पी कई सवाल खड़ा करती है.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि राजस्थान के सियासी ड्रामे पर वसुंधरा राजे सिंधिया ने सिर्फ एक बार ट्वीट करते हुए कहा कि राजस्थान में जो हो रहा है वो ठीक नही है. इसके बाद वसुंधरा ने एक शब्द भी नही बोला. वहीँ कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे सिंधिया को बड़ा सरकार बँगला भी दिया है. कोर्ट ने सवाल पूछा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री का बंगला क्यों नही खाली करवाया जा रहा है? इस अशोक गहलोत कहना है कि वरिष्ठ विधायक होने के नेता वसुंधरा राजे को बँगला देने का अधिकार मुझे है. वहीँ वसुंधरा राजे सिंधिया को मिले सरकारी बंगले पर जब सचिन पायलट ने सवाल उठाया तो बीजेपी ने कुछ नही कहा लेकिन वसुंधरा राजे के पक्ष दो विधायकों ने प्रेस कांफ्रेस कर इस पर जवाब दिया.. नाकि जवाब दिया उन्होंने तो ये भी कह दिया है कि बीजेपी जो कर रही है ठीक नही है.
दरअसल कैलाश मेघवाल और प्रताप सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सचिन पायलट पर हमला बोला और कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे को बंगला देकर सही काम किया है. जो कुछ राजस्थान में बीजेपी कर रही है वो सही नही है, अशोक गहलोत की सरकार को अस्थिर नहीं करनी चाहिए. वहीँ इसके बाद अब कांग्रेस विधायकों के लिए खरीद फरोख्त के आरोप में गिरफ्तार किये संजय जैन, भरत मलानी और अशोक सिंह पर भी बीजेपी शक कर रही है क्योंकि ये कभी वसुंधरा राजे के करीबी हुआ करते थे.
कैलाश मेघवाल और प्रताप सिंह जो तेवर दिखा रहे हैं उससे भी बीजेपी डर गयी है कि अगर कांग्रेस को बहुमत साबित करने में कोई दिक्कत हुई तो ये दोनों विधायक क्रॉस वोटिंग कर सकते है. वहीँ जहाँ इधर जयपुर में राजनीतिक हलचल तेज है तो वहीँ वसुंधरा राजे जयपुर से दूर धौलपुर के अपने महल में बैठकर राजनीतिक हलचल पर नजर रख रही हैं. यहाँ तक कि वसुंधरा को बीजेपी को किसी मीटिंग में भी नही बुलाया जा रहा है और ना ही वे पार्टी की किसी बैठक में शामिल होती देखी गयीं हैं.
बीजेपी का शक अपने ही नेताओं पर इसलिए भी जा रहा है क्योकि कुछ दिन पहले ही एनडीए के सदस्य और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सांसद हनुमान बेनीवाल खुलेआम ये कहते हुए नजर आये थे कि अशोक गहलोत से वसुंधरा राजे मिली हुई हैं और सरकार गिरने से बचा रही है. इसके बाद इस बयान की खूब चर्चा हुई थी. बीजेपी ने हनुमान बेनीवाल के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नही दी. कोई प्रतिक्रिया न देना मतलब एक तरह हनुमान बेनीवाल के बयान को सच माना जा रहा है. हालाँकि इसके बाद वे भी चुप हो गये. चर्चा तो ये भी है कि जो हालत सचिन पायलट की कांग्रेस में हो गयी थी वहीँ हालत अब बीजेपी में वसुंधरा राजे की हो गयी है मलतब पार्टी से किनारे कर दिया गया है.
तो आपको क्या लगता है कि सच में जो हालत सचिन पायलट की कांग्रेस में हो गयी थी वहीँ हालत अब बीजेपी में वसुंधरा राजे की हो गयी है?