बिहार चुनाव को लेकर इस समय सभी पार्टियों में गहमा-गहमी शुरु हो गई है. चुनाव में चिर-प्रतिद्वंदी दो पार्टियां आरजेडी और जेडीयू फिर से एक-दूसरे के आमने सामने हैं. इस बीच लालू यादव के जेल में होने के बावजूद उनके दोनों बेटे तेजप्रताप और तेजस्वी पार्टी की चमक बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं. खासकर तेजस्वी यादव जिस तरह की रैलियां और राजनीतिक बयान दे रहे हैं उससे उनका पार्टी में अलग ही कद दिख रहा है. हालांकि तेजस्वी पिछले कुछ दिनों में ऐसे बयान भी दिए हैं जिससे सभी लोग हैरान हैं. 3 जुलाई को आरजेडी के मिलन समारोह में उन्होंने एक बड़ा बयान दिया है तेजस्वी ने कहा कि लालू जी ने सामाजिक न्याय नही किया,15 साल में हमसे कोई भूल हुई हो तो हम इसके लिए आपसे माफी मांगते हैं. हालांकि यह कोई पहली बार नही है जब उन्होने माफी मांगी हो इससे पहले भी वह कई बार माफी मांग चुके हैं. यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या तेजस्वी आने वाले चुनाव में बिना लालू के ही पार्टी की नैया पार लगाना चाहते हैं.

आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने लालू-राबड़ी को लेकर कही बड़ी बात
बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार चुनाव के मद्देनजर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने पार्टी की एक रैली में अपनी पार्टी के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों लालू यादव और राबड़ी के पिछले 15 साल किए गए शासन को लेकर कहा कि उन्होंने सामाजिक न्याय नही किया. इसके लिए हम माफी मांगते हैं. तेजस्वी ने बिहार की जनता से कहा कि अगर वह उन्हें एक मौका देंगे तो वह निराश नही करेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगर वह एक कदम आगे चलेंगे तो वह खुद चार कदम आगे चलने को तैयार हैं.
तेजस्वी ने आगे कहा कि ठीक है कि 15 साल हमारी सरकार रही और हम सत्ता में रहे. लेकिन हम सरकार में नही थे. हम छोटे थे. इस बात से कोई इनकार नही कर सकता कि लालू यादव ने सामाजिक न्याय नही किया. वह अलग दौर था हालांकि यह बहूमूल्य कमी रह गई इसके लिए हम माफी मांगते है.
#WATCH—Thik hai 15 saal hum log saata mein rahe,par hum sarkar mein nahi the,hum chhote the.Phir bhi humari sarkar rahi.Isse koi inkaar nahi kar sakta ki Laluji ne samajik nyay nahi kiya.15 saal mein humse koi bhul huyi thi toh hum uske liye maafi mangete hain:Tejashwi Yadav(2.7) pic.twitter.com/5dYL8cuhob
— ANI (@ANI) July 3, 2020
जनता अगर एक और मौका दे तो मैं सभी नौजवानों को रोजगार दूंगा. राज्य में विकास की गंगा बहा कर हर घर मे खुशहाली लाने की पूरी कोशिश करूंगा. हमारी पार्टी सभी की पार्टी है और हम सबको सम्मान देंगे. जात-पांत से ऊपर उठकर सब को साथ लेकर चलेंगे. सभी जाति और धर्म को हर जगह प्रतिनिधित्व देंगे.
पहले भी मांग चुके हैं माफी
सबसे बड़ी बात तो यह है कि यह पहली बार नही है जब तेजस्वी ने लालू-राबड़ी काल में हुई गलतियों के लिए माफी मांगी है. पहले भी वह माफी मांग चुके हैं. 23 फरवरी को वेटनरी कालेज मैदान में उन्होंने कहा था लालू-राबड़ी के समय कुछ गलतियां हुई होंगी. मैं उसके लिए आप सबसे माफी मांगता हूं. किंतु अब नया जमाना है और पुरानी बातों को भूलकर हमें नया बिहार बनाना है.
सबसे बड़ा सवाल यह है कि तेजस्वी को माफी मांगने की जरूरत क्यों पड़ी. लालू और राबड़ी ने 15 वर्षों के शासन में कौन सी गलती की थी, जिसके लिए उनके बेटे तेजस्वी को मांफी मांगने की जरूरत पड़ रही है. दरअसल लालू ने 1990 से 2005 के दौर में कुछ समुदाय विशेष का विरोध किया तो वहीं, कुछ को अपनी और आकर्षित कर चुनाव जीतने में सफल रहे. उन्होंने ऐसे ही समीकरणों की बदौलत राज्य में पूर्ण बहुमत की सरकार भी बनाई. वह मुस्लिम और यादव समुदाय को साथ लाकर भी अपने राजनीतिक मंसूबों को भुनाने में सफल रहे. लेकिन उसके बाद पार्टी की हालत बद से बदतर होती गई.
2005 के बाद से पार्टी की हालत खस्ता
2005 के बाद भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की संयुक्त सरकार के सत्ता में आने के बाद लालू का जादू गायब हो गया. 2015 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दें तो 2005 से अब तक के 6 चुनावों में पार्टी को 5 में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. 2015 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लालू यादव ने महागठबंधन बनाया था और इस चुनाव में लालू की पार्टी आरजेडी के 80 विधायक जीते थे.
इन सभी समीकरणों के नतीजे और उसके बाद के आकलन ने ही तेजस्वी को नई चाल चलने के लिए प्रेरित किया होगा. शायद यही कारण है कि कई मंचों पर उन्होंने माफी मांगी है.
पार्टी की छवि बदलने में लगे तेजस्वी
करीबन 5 साल लालू यादव ने अपने छोटे बेटे तेजस्वी यादव को राजनीतिक उत्तराधिकार सौंपा था. तब से लालू यादव के सपने को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी तेजस्वी यादव के हाथों पर है. वह राजनीति में ऐसे समय में उतरे हैं जब बीजेपी-जेडीयू का राजनीतिक चक्रव्यूह काफी मजबूत हो चुका है. उसे तोड़ना उनके लिए किसी टेढ़ी खीर से कम नही है. यही कारण है कि तेजस्वी आरजेडी की छवि को लगातार बदलने की कोशिश कर रहे हैं.

तेजस्वी ने पार्टी में कुछ दिनों में जातीय समीकरण को लेकर काफी काम किया है
आरजेडी की किसी समुदाय विशेष की पार्टी होने के टैग से बाहर निकलने के लिए तेजस्वी ने पार्टी में काफी बदलाव किया है. हाल ही में आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी राजपूत समुदाय से आने वाले जगदानंद सिंह को सौंपी गई थी तो वहीं ब्राह्मण नेता के तौर पर राज्यसभा सदस्य मनोज झा को पार्टी में आगे बढ़ाया है. इसके अलावा भूमिहार समाज से आने वाले अमरेंद्र धारी सिंह को राज्यसभा भेजकर बिहार की जनता को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है.
लालू यादव चारा घोटाले को लेकर झारखंड में जेल में बंद हैं और आने वाले चुनाव के मद्देनजर उन्होंने जमानत अर्जी दाखिल की है. बाहर आते ही वह एक बार फिर चुनावी कैंपेन में तेजस्वी के साथ होंगे.अब आने वाला समय ही बतायेगा कि बिहार चुनाव में लालू यादव के सुपुत्र तेजस्वी का जातीय समीकरण बिठाना और माफी मांगना कितना गुल खिलाएगा.