वाशिंगटन स्थित एक चिल्ड्रन नेशनल हॉस्पिटल के रिसर्च में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस कई दिनों तक बच्चों के नाक और गले में रह सकता है. इस दौरान ऐसा भी हो सकता है के उनमें कोई लक्षण ने दिखे. रिसर्च के अनुसार अध्ययन दर्शाता है कि कैसे कोरोना वायरस चुपचाप तरीके से अपना संक्रमण फैला सकता है. रिसर्च में बताया गया है कि यहां तक की कोविड-19 जांच में भी कोरोना वायरस के लक्षण नही दिखे.

बच्चों के नाक और गले में कई हफ्तों रह सकता है कोरोना वायरस
अमेरिकी में किए गए एक रिसर्च में कोरोना वायरस को लेकर चौकाने वाला तथ्य सामने आया है. यहां स्थित एक बच्चों के हॉस्पिटल के रिसर्च में खुलासा हुआ है कि बच्चों में कोरोना वायरस गुपचुप तरीके से फैल रहा है. रिसर्च में बताया गया है कि कैसे 85 संक्रमित बच्चे टेस्टिंग से सिर्फ इसलिए दूर हो गए क्योंकि उनमें कोविड के लक्षण नही दिख रहे थे. उनमें कोविड-19 की जांच भी की गई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव आई. शोध में आगे बताया है कि अगर ऐसा हुआ तो कम्यूनिटी में एसिम्पटोमैटिक बच्चों का दायरा बढ़ सकता है. बता दें कि एसिम्पटोमैटिक मरीज उन्हें कहते हैं जिनमें कोई बाहरी लक्षण न दिख रहे हों फिर भी वह मरीज हो सकता है.
Also Read- India sets a National Record of highest number of Coronavirus cases in a day : Read Report
इस बीच अमेरिका की सबसे बड़ी स्वास्थ्य संस्था सेंटर्स फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन यानि की सीडीसी के उस गाइडलाइन को काफी धक्का लगा है जिसमें कहा गया था कि एसिम्प्टोमैटिक मरीजों की जांच कराने की जरुरत नही है. जब तक की वह किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में न आए हों. हालांकि सीडीसी के इस गाइडलाइन्स का पहले से ही विरोध हो रहा है. सीडीसी के इस फैसले को अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स ने खतरनाक और पिछड़ा कदम कहा है.

खेल-खेल में संक्रमण का खतरा
रिसर्च में कहा गया है कि बच्चों में लक्षण भले ही न दिख रहा हो पर इनसे पूरी कम्यूनिटी में वायरस फैल सकता है. ये बच्चों के साथ खेलते रहते हैं और कई तरह की गतिविधियों मे शामिल रहते हैं. ऐसे में खतरा ज्यादा रहता है.