कांग्रेस के अध्य्क्ष पद को लेकर आलाकमान को लिखी गई एक चिट्ठी की वजह से पूरे पार्टी में खलबली मची हुई है। सोमवार को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी यही मुद्दा छाया रहा। बैठक की शुरुआत में ही कांग्रेस की मौजूदा अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने चिट्ठी को लेकर अपनी बात रखी है। उन्होंने अपनी बात में अपनी मायूसी भी बताई। पार्टी में बड़े स्तर पर बदलाव को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की तरफ से लिखी इस चिट्ठी को लेकर सोनिया गांधी ने कहा कि, वह इस बात से निराश हैं कि गोपनीयता के आश्वासन के बावजूद भी चिट्ठी को मीडिया में लीक कर दिया गया।
इसके अलावा सोमवार को हुई इस बैठक में कई नेताओं ने अपना पक्ष रखा। तीखी बहस की खबरें भी आईं और अंतत: गरमा-गरमाई के बाद कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में सोनिया गांधी को ही जिम्मेदारी जारी रखने की जिम्मेदारी पर सहमति बनी। लेकिन इससे पहले दर्जनों नेताओं ने अपनी बात रखी। इतना ही नहीं इस चिट्ठी को लिखने वालों और इसपर अपनी हस्ताक्षर करने वालों को लेकर पार्टी आलाकमान के वफादारों और बागियों की बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। पार्टी के दो बड़े नेता आपस में ही बवाल काटने पर आमादा हैं। सोनिया गांधी के करीबी और कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने पार्टी के दिग्गज नेता आनंद शर्मा को लेकर बैठक में आनंद शर्मा पर चिट्ठी लिखने का आरोप लगाया।
सूत्रों के मुताबिक अहमद पटेल ने एक-एक करके नेताओं को खरी खोटी सुनाई। एक वक़्त पर सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार रहे अहमद पटेल ने गुलाम नबी आजाद से कहा कि वह इतने वरिष्ठ नेता हैं, 10 जनपथ पर उनकी बातचीत हो जाती है तो उनको चिट्ठी का सहारा क्यों लेना पड़ा? अहमद पटेल ने कहा कि मुझे आश्वासन दिया गया था कि चिट्ठी पर हस्ताक्षर नहीं किए जाएंगे, उसके बावजूद भी आपने चिट्ठी लिखकर भेज दी. मुझे भी गुस्सा आता है, तीन साल तक मैं यूं ही खाली बैठा था, मगर गुस्से में चिट्ठी कौन लिखता है?
इसके साथ ही अहमद पटेल ने खेद व्यक्त करते हुए कहा कि, गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ठ नेता उस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले लोगों में शामिल थे। पार्टी की बैठक में अहमद पटेल के अलावा और कई नेताओं ने भी चिट्ठी लिखने वालों पर तंज कसा। CWC की बैठक में अंबिका सोनी ने पत्र लिखने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि जिस किसी ने भी अनुशासनहीनता की है, उस पर कांग्रेस के संविधान के अनुसार निर्णय लिया जाना चाहिए। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने पत्र को दुर्भाग्यपूर्ण बताया जबकि एके एंटनी ने पत्र को क्रूर कहा।
वहीं चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर तंज कसते हुए पार्टी के एक नेता ने कहा कि जयचंद का पता लगाना जरूरी है. पंजाब की इंचार्ज आशा कुमारी ने कहा कि अगर चिट्ठी सोनिया गांधी को भेजी गई थी तो वह सार्वजनिक कैसे हो गई इस बात पर जांच होनी चाहिए कि आखिर तक चिट्ठी को लीक करने वाला कौन है?
फिलहाल अभी बैठक में फैसला किया गया है कि, कांग्रेस कार्यसमिति में सर्वसम्मत से निर्णय लिया गया कि सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के पद पर बनी रहेंगी। अध्यक्ष पद के लिए चुनाव अगले 4-5 महीने में होगें।