अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण शुरु होनें के बाद अब नज़रे काशी-मथुरा विवाद पर टिकी हुई हैं। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ (Places Of Worship Act 1991) को मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इससे पहले भी हिंदू पुजारियों के संगठन ने इस एक्ट को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
कर्नाटक सरकार के मंत्री के.एस.ईश्वरप्पा ने भी कहा है कि अब मथुरा और काशी की भी बारी आनी चाहिए। इससे पहले बाबा रामदेव ने भी कहा था कि “राम मंदिर का एक सपना पूरा हो रहा है तो काशी विश्वनाथ का भी और मथुरा-वृंदवान का भी सपना पूरा होगा”।

क्या है ‘प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’
“एक अधिनियम जो धार्मिक स्थलों के परिवर्तन को निषिद्ध करता है और ऐसे धार्मिक स्थल जैसे वो 15 अगस्त 1947 को थे उनको उसी रूप में संरक्षित करता है।” यानी कि को जो धार्मिक स्थल जिस संप्रदाय से संबंधित थे वह हमेशा के लिए उसी तरह रहेंगे।
मुस्लिम पक्ष भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट
काशी-मथुरा विवादों पर कानून को चुनौती देते हुए मुस्लिम पक्ष भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। अर्जी में उसने हिंदू पुजारियों के संगठन की याचिका का विरोध करते हुए कहा है कि अदालत इस याचिका पर नोटिस जारी ना करे। मामले में नोटिस जारी करने से खासतौर पर अयोध्या विवाद के बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों के मन में अपने पूजा स्थलों के संबंध में भय पैदा होगा।